(१)
वंदन में , देश- दीप जलाने लगे हैं लोग ,
वंदन में , देश- दीप जलाने लगे हैं लोग ,
नटवर को अँगुलियों में नचाने लगे हैं लोग ,
दुर्योधनों , दुशासनों की खैर अब कहाँ ?
ध्वज-चक्र ,कृष्ण जैसा उठाने लगे हैं लोग !
(२)
उठ ! जाग , चले भारतीय तान मुट्ठियाँ ,
कुछ छोटी, बड़ी और कुछ जवान मुट्ठियाँ ,
जय हिंद के नारों की गूँज धरती, गगन में ,
करती हैं , वन्दे मातरम का गान मुट्ठियाँ !
(३)
ज्वालामुखी से फूट के चिंगारियाँ उठीं ,
घोटालों के विरोध में किलकारियाँ उठीं ,
सिसकारियाँ उठीं हैं अनाचार द्वार पर ,
बच्चे, बड़े, जवान उठे, नारियाँ उठीं !
(४)
जलने न देंगे यश का बाग़ ,वन्देमातरम् ,
अधरों में सबके एक राग , वन्देमातरम् .
खेलेंगे फाग खून से , इतने जुनून से ,
जन क्रान्ति की भड़की है आग .वन्दे मातरम् !
(५)
अनशन व्यसन नहीं स्वयं कृपाण ऐ वतन !
दशशीश दहन हेतु राम वाण ऐ वतन !
लड़ते हैं जंग कैसे , ये दुनियाँ को खबर है
व्रत , एक है संकल्प , देंगे प्राण ऐ वतन !