दर्द-ए -दिल, ले ले गम-ए-जिन्दगी जो गीत ग़ज़ल,
बस तरन्नुम में वही यार सुनाया जाए /
बस तरन्नुम में वही यार सुनाया जाए /
गैर के काम भी आयें कभी पुरखों की तरह ,
जोश-ओ-जज्बा नहीं सूरत नज़र नहीं आती ,
जोश-ओ-जज्बा नहीं सूरत नज़र नहीं आती ,
सबको हासिल हों जिसके पत्ते बूटे, फूल- ओ- फल,
दरख़्त ऐसा सायादार लगाया जाए /
दरख़्त ऐसा सायादार लगाया जाए /
खाक ! मतलब की कहाँ रह गयी तालीम कोई ,
पढ़ के भी सिख ईसाई हिन्दू मुसलमां हैं हम ,
पढ़ के भी सिख ईसाई हिन्दू मुसलमां हैं हम ,
धर्म- मजहब से जुदा आदमी की पनपे नसल ,
वो मदरसा ! कभी कोई तो बनाया जाए /
वो मदरसा ! कभी कोई तो बनाया जाए /
वहशतों का ये दौर और न आगे आये ,
कोई दंगा - फसाद, खून- खराबा न बढे ,
कोई दंगा - फसाद, खून- खराबा न बढे ,
ऐसे हैरत भरे मंजर न मिलें और भी कल ,
आदमीयत का जनाजा न उठाया जाए /
आदमीयत का जनाजा न उठाया जाए /
ऐसी तहजीब है अजीब , नाम दें भी क्या ,
साए भी, हाथ में साए पे उठाये खंजर ,
साए भी, हाथ में साए पे उठाये खंजर ,
क्या यकीं कब हो साँस आख़िरी न पाए टल,
खुद कफ़न अपना ज़रा सी लें तो जाया जाए /
खुद कफ़न अपना ज़रा सी लें तो जाया जाए /
अब हैं बेमानी मुहब्बत की, प्यार की बातें ,
नफरतों का वो सिलसिला नहीं रुका दम भर ,
नफरतों का वो सिलसिला नहीं रुका दम भर ,
कल कोई दिल से दिल मिलाये ये खुदा का फज़ल ,
जो मिले आज गले सबको लगाया जाए /
जो मिले आज गले सबको लगाया जाए /