वो निगाहों में लिए जाम गली से गुजरे /
हुस्नगर सज के सर-ए-शाम, गली से गुजरे /
ऐसे निकले , हो खिला झील में कमल जैसे ,
मस्त शायर ने कहीं छेड़ दी गजल जैसे ,
नीद ! रातों में की हराम , गली से गुजरे /
वो निगाहों में लिए जाम , गली से गुजरे /
ख्वाब में यार ये अंगडाईयों के दौर तो हैं,
प्यासी बाहों में ये, परछाइयों के दौर तो हैं ,
रह गए यार ये दिल थाम, गली से गुजरे /
वो निगाहों में लिए जाम , गली से गुजरे /
दर्द दिल में नहीं कमतर भी कभी सपनों का ,
एक गम प्यार का शामिल है ये भी अपनों का ,
दर्द-ए - दिल , दे के वो तमाम, गली से गुजरे /
वो निगाहों में लिए जाम , गली से गुजरे /
यार बरसात में भीगी हुई लटों की कसम ,
रातों में आयें , सताएं जो करवटों की कसम ,
नज़र से करते क़त्ल-ए - आम, गली से गुजरे /
वो निगाहों में लिए जाम , गली से गुजरे /
ऐसी हसरत से निगाहों की सरहदें देखीं,
लिपट के सायों से बाहों की सरहदें देखीं,
ऐसे कर देंगे वो बदनाम , गली से गुजरे /
वो निगाहों में लिए जाम, गली से गुजरे /