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Friday, January 6, 2012

वर्ष  दो हज़ार ग्यारह बीत गया रे
वर्ष दो हज़ार बारह गीत नया रे
कल भूल जाएँ झूमें नाचें गायें हम I
जय हिंद जय हिन्द वन्दे मातरम् I
एक रहे एक हैं , रहें भी एक  हम i
जय हिन्द जय हिन्द वन्दे मातरम् //


बीता हुवा कल तो रुलाता रहा रे ,                        
सपनों के झूलों में झुलाता रहा रे ,
तंग करता ही रहा रोने न दिया -
आधे भूँखे प्यासे ये सुलाता रहा रे ,
कहे नहीं जाते बेशुमार ऐसे ग़म /
जय हिंद जय हिंद वन्दे मातरम् /

कवि हो कोई हो गीतकार देश का ,        
सुना भी न जाए सीत्कार देश का ,                                  
कविता गज़ल गीत छंद लेख में -
भरते रहे हैं चीत्कार  देश  का  ,
रखवाले ढाते ऐसे जुल्म-ओ -सितम /
 जय हिन्द जय हिन्द वन्दे मातरम्  /

रोज नयी जंग से सगाई  हो गयी
महँगी आज़ादी की लड़ाई हो गयी ,
मुख  के निवाले तो घोटाले ले गए
 मालदार बस महँगाई  हो गयी ,
गिरवीं हो जाए न तिरंगा परचम /
जय हिंद जय हिंद वन्दे मातरम् ll

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