वाणी, कर्म, मन से वन्दनीय विश्व पितृ दिवस ,
फादर्स डे का विश्वव्यापी सुयश ,
अनस्तित्व का आखेट हो न हो विवश ,
तभी तो सार्थक हो सकेगा -
विश्व का फादर्स डे, भारतीय पितृ दिवस /
कब! पुनर्नवा पूरित होगी , श्रवण सेवा परम्परा ?
कब ! जनेगी ऐसे पुत्र - पुत्रियाँ यह रत्नधरा ?
कब पा सकेगा लालन- पालन ?
वह श्री परशुरामी पित्राज्ञानुपालन ?
कब यथार्थ में होगा भीष्म व्रत परिचालन ,
कब स्वार्थ में लिप्त वर्तमान -
करेगा पितृ पदातीत पर वलिदान, सेवा, निर्वहन
कब स्वयं भी पिता हो पायेंगे जनक,
अभिशप्त कब तक शीश पर ढोयेंगे, पिता होने का भार ?
कब होगा पितृ उद्धार ?
की वर्ष - प्रतिवर्ष हो सोल्लास , पितृ दिवस !
अस्तित्व के लिए कहीं पिता न हो विवश ,
पिता भी करे दायित्व निर्वाह ,
पिता की स्नेह सरिता का प्रवाह -
कभी अवरुद्ध न हो ,
कोई भले शत- प्रतिशत शुद्ध न हो ,
किन्तु यशोधरा तज पुनः कोई बुद्ध न हो ,
संतान पिता को , पिता संतान रखे संवार ,
पुत्र - पुत्रियाँ कहें पुकार बार- बार ,
जीवन ! नित्य अभिनव !
पितृ देवो भव ! पितृ देवो भव !
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