वृन्दावन ! आसवन भक्ति का , नवरस नस-नस मनभावन / वर दें आप, ताप मिट जाएँ , रस बरसे पग-पग पावन / व्यंजन-स्वर परसें मनभावन , नव रस का बरसे सावन / वंदन! वचन सुधा रस चाहे , प्रिय आओ इस वृन्दावन /
वन्दनीय वैज्ञानिक दल जो नित्य सँवारें भारत मान । वसुन्धरा से अन्तरिक्ष तक भारत वैभव का यश गान । व्यक्ति शून्य प्रक्षेपित मंगल ग्रह पथ बढ़ता मंगल यान । ।वर्षो युगों गीत गौरव के गायेगा यह हिन्दुस्तान ।।
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