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Thursday, January 16, 2014

तनिक

तनिक बन ठन कर आओ पास ।
तनिक बन ठन कर आओ पास ।
विरह विदग्ध नयन उपवन घर
मुखरित हो मधुमास ।।   तनिक---
  शीतल मन्द पवन के झोंके
शुष्क कर रहे तट अधरों के ।
तपन रच रही तन तन तन पर
प्रणय गीत आठों पहरों के  ।।
अधर अधर पर दहक उठें प्रिय -
खिलते हुए  पलाश  ।। तनिक --
सज आये सन्ध्या सिन्दूरी
किलकारी भर रही मयूरी ।
कस्तूरी हो रही लालसा
आस मिलन की कब हो पूरी ।।
सम्भव नहीं अगर मर जाए -
प्यासी ही यह प्यास ।। तनिक ---
कहते बहते नीर चली आ ।
टेर रही यह पीर चली आ ।
लुट लुट घुट घुट जीते फिरते -
इस राँझे की हीर चली आ ।।
कर्म पन्थ पर रच दें मिल जुल
एक नया  इतिहास  ।।  तनिक---
गीत मिलन के गाये धड़कन ।
कब से प्रिये बुलाये धड़कन ?
पल दो पल क्षणभंगुर जीवन -
जाने कब थम जाए धड़कन ?
साँस साँस भर चलें चार पग -
सत्य सुखद सहवास  ।। तनिक -
आ साकार करें वे सपने ।
जिनको रहे लूटते अपने ।
लथ पथ नित्य अग्नि पथ चलते
अब जब पाँव लगे भी तपने ।।
यत्न करें चिर प्यास तृप्ति का -
पा  जाये  आकाश   ।। 
तनिक बन ठन कर आओ पास ।।।

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