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Wednesday, July 20, 2011

ऐसा क्यों होता है दादी ?

माँ गढ़ती बेटों का तन-मन
न्यौछावर हो पाले बचपन
दादी मन में बस यह उलझन
बेटे, क्यों हो जाते दुश्मन.

घर-भर की फ़रियाद सुने जो
क्यों हो वह दादी फरियादी
ऐसा क्यों होता है दादी ?

बेटी-बेटों के दुःख ले ले
हंसकर साथ सभी के खेले
फिर क्यों ऐसे अजब झमेले
रहती सबसे दूर अकेले

माँ, बेटों, बहुओं के घर में
किसने यह दीवार उठा दी
ऐसा क्यों होता है दादी?

हर कोई मुझ पर झुंझलाए
मारे-पीटे आँख दिखाए
माँ, बेटों, बहुओं के झगड़े
ये बच्चा कैसे सुलझाये ?

हो जाते क्यों लाल पराये
दादी बस होते ही शादी
ऐसा क्यों होता है दादी ?

ताने सुने तोतले तेरे
प्यारे तुम और बेटे मेरे
पापा मम्मी से बसते हैं
घर में ये खुशियों के डेरे

बड़ा सयाना जाने कैसे
किसने है ऐसी शिक्षा दी
ऐसा क्यों होता है दादी ?

4 comments:

Anonymous said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति , सुन्दर रचना.
प्रवीण कुमार, नॉएडा

Apanatva said...

bahut badiya......
shayad beto ko mehandee ka rang khoon ke rang se jyada gahara aur laal nazar aata haijee........
sashakt aur sarthak lekhan .

virendra said...

प्रवीण जी ,
अपनत्व जी

आपके समर्थन और उत्साहवर्धक प्रतिक्रियाओं का आभारी हूँ ,धन्यवाद

Anonymous said...

Aw, this was a really nice post. In idea I would like to put in writing like this additionally - taking time and actual effort to make a very good article… but what can I say… I procrastinate alot and by no means seem to get something done.