वत्स माँग मनचाहा वरदान
वत्स अल्पायु में कठिन तपस्या
बोल क्या है समस्या ?
किंकर्तव्यविमूढ़ ! दयानिधान !
समस्या ? हिन्दुस्तान - हुक्मरान /
घुट घुट जिन्दगी जीते इनसान,
राज करते ये काले , काली करतूतों वाले ,
काली चालों , करोड़ों घोटालों वाले ,
सोना चाँदी उगलती संसद में-
अंगद जैसे जमाये पाँव
अंगद जैसे जमाये पाँव
वर्षों से केवल कौओं सी कांव-कांव ,
मौज - मस्ती में कुम्भकर्णी खर्राटे मार रहे हैं नींद में ,
आम आदमी ! बेमौत मर रहा है ,दीवाली होली कभी ईद में
हर ओर आग ही आग , दिन - रात खूनी फाग ,
नारायण - नारायण , नारी -नर जैसे भाजी -साग ,
और तरक्की भी ऐसी ,असली जामे में नकली नोट ,
हुक्मरानों की नयी नयी गोट ,
सब पर मर्मबेधी चोट ,
दे रहे अवर्णनीय विस्फोट !
नाथ ! ये आतंक ,ये दंगे ,
मर रहे भूंखे प्यासे नंगे ,
फिर भी जज्बा-ओ -जोश में ,
आक्रोश में लहराते हैं तिरंगे ,
सब पर मर्मबेधी चोट ,
दे रहे अवर्णनीय विस्फोट !
नाथ ! ये आतंक ,ये दंगे ,
मर रहे भूंखे प्यासे नंगे ,
फिर भी जज्बा-ओ -जोश में ,
आक्रोश में लहराते हैं तिरंगे ,
प्रभो ! आज़ादी में गुलामी के मंजर ,
अपनों पर अपनों के खंजर ,
अपनों पर अपनों के खंजर ,
आम आदमी अस्थि पंजर ,
धरती हो रही बंजर ,
धरती हो रही बंजर ,
अन्तर्यामी ! यह कैसा खेल तमाशा है ?
आदमी, आदमी के खून का प्यासा है /
अपनी विख्यात पौराणिक मुद्रा में मुस्कुराए भगवान्
उठ जाग ! नादान ,
यह आज़ाद राजनीति की रक्काशा है ,
वत्स राजनीति राज नीति है-
जिसमें राष्ट्र -राष्ट्रभक्ति दूध - बताशा है ,
जिसमें राष्ट्र -राष्ट्रभक्ति दूध - बताशा है ,
वत्स वैसे तो सभी को हमने स्वयं गढ़ा -तराशा है /
परन्तु नेता की काया में फ़र्क ज़रा सा है /
परन्तु नेता की काया में फ़र्क ज़रा सा है /
नरों -नारियों की यह छवि है ऐसी विराट ,
अपनी पर आये , सच खड़ी कर दे नारायण की भी खाट ,
जय हो प्रभो ! खुल गए बंद चक्षु ज्ञान कपाट /
फिर भी एक सवाल मचा रहा है धमाल
किसी ब्लास्ट , फास्ट में -
कभी कोई राजनीतिज्ञ नहीं मरा ,क्या खूब है कमाल /
कभी कोई राजनीतिज्ञ नहीं मरा ,क्या खूब है कमाल /
जगदीश्वर ! कहें कारण
वत्स, इस शंका का है निवारण
नेता !दंगाइयों , आतंकवादियों का बाप है ,
वत्स , नेता पर उंगली उठाना महापाप है /
सच्चा जनार्दन जनता का आका है ,
भोले भक्त ,शहर - शहर -
नेता के बल पर ही विस्फोट हैं , धमाका है /
वत्स , नेता वतन की आँख का नूर -ए- चश्म है ,
नेता के बल पर ही विस्फोट हैं , धमाका है /
वत्स , नेता वतन की आँख का नूर -ए- चश्म है ,
दशानन ,कंस ,का सदियों पुराना जीवाश्म है /
नेता के प्रारब्ध में स्वप्रवाहित अमरता है ,
नेता के आगे नारायण भी पानी भरता है ,
वत्स ! सच्चाई कहते अंतर्मन डरता है ,
भाग्य ही रूठा हो तो और बात है -
वरना किसी भी विस्फोट में नेता नहीं मरता है /
वत्स ! नेता , भारत में भगवान है , /
एक अकेला नेता ही समूचा हिन्दुस्तान है
सुनते ही भक्त की आँखों से झरने लगा निर्झर ,
वरना किसी भी विस्फोट में नेता नहीं मरता है /
वत्स ! नेता , भारत में भगवान है , /
एक अकेला नेता ही समूचा हिन्दुस्तान है
सुनते ही भक्त की आँखों से झरने लगा निर्झर ,
अवसर उचित देख अंतर्ध्यान हुए जगदीश्वर /
भक्त के नयन खुले ,भयभीत था रोम - रोम
हतप्रभ , नयन मूँद भजने लगा हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ .'
2 comments:
कायर की चेतावनी, बढ़िया मिली मिसाल,
कड़ी सजा दूंगा उन्हें, करे जमीं जो लाल |
करे जमीं जो लाल, मिटायेंगे हम जड़ से,
संघी पर फिर दोष, लगा देते हैं तड़ से |
रटे - रटाये शेर, रखो इक काबिल शायर,
कम से कम हर बार, नया तो बक कुछ कायर ||
आदरणीय मदन शर्मा जी के कमेंट का हिस्सा साभार उद्धृत करना चाहूंगा -
अब बयानबाजी शुरू होगी-
प्रधानमंत्री ...... हम आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा देंगे ...
दिग्गी ...... इस में आर एस एस का हाथ हो सकता है
चिदम्बरम ..... ऐसे छोटे मोटे धमाके होते रहते है..
राहुल बाबा ..... हर धमाके को रोका नही जा सकता...
आपको पता है कि दिल्ली पुलिस कहाँ थी?
अन्ना, बाबा रामदेव, केजरीवाल को नीचा दिखाने में ?????
नेता के बल पर ही विस्फोट हैं , धमाका है /
वत्स , नेता वतन की आँख का नूर -ए- चश्म है
दशानन ,कंस ,का सदियों पुराना जीवाश्म है /
नेता के प्रारब्ध में स्वप्रवाहित अमरता है ,
नेता के आगे नारायण भी पानी भरता है ,
यथार्थ की तस्वीर खींच दी है आपने...बहुत खूब...
Post a Comment