(१)
वंदन में , देश- दीप जलाने लगे हैं लोग ,
वंदन में , देश- दीप जलाने लगे हैं लोग ,
नटवर को अँगुलियों में नचाने लगे हैं लोग ,
दुर्योधनों , दुशासनों की खैर अब कहाँ ?
ध्वज-चक्र ,कृष्ण जैसा उठाने लगे हैं लोग !
(२)
उठ ! जाग , चले भारतीय तान मुट्ठियाँ ,
कुछ छोटी, बड़ी और कुछ जवान मुट्ठियाँ ,
जय हिंद के नारों की गूँज धरती, गगन में ,
करती हैं , वन्दे मातरम का गान मुट्ठियाँ !
(३)
ज्वालामुखी से फूट के चिंगारियाँ उठीं ,
घोटालों के विरोध में किलकारियाँ उठीं ,
सिसकारियाँ उठीं हैं अनाचार द्वार पर ,
बच्चे, बड़े, जवान उठे, नारियाँ उठीं !
(४)
जलने न देंगे यश का बाग़ ,वन्देमातरम् ,
अधरों में सबके एक राग , वन्देमातरम् .
खेलेंगे फाग खून से , इतने जुनून से ,
जन क्रान्ति की भड़की है आग .वन्दे मातरम् !
(५)
अनशन व्यसन नहीं स्वयं कृपाण ऐ वतन !
दशशीश दहन हेतु राम वाण ऐ वतन !
लड़ते हैं जंग कैसे , ये दुनियाँ को खबर है
व्रत , एक है संकल्प , देंगे प्राण ऐ वतन !
21 comments:
हर मुक्तक गहन अर्थ लिए हुए ... बहुत सुन्दर शब्दों के साथ अच्छी प्रस्तुति
बहुत सुन्दर , सशक्त सार्थक और खूबसूरत प्रस्तुति .
bahut hi sunder prastuti...........
bahut hi sunder.........
bahut ojaswee aaj kee manah sthiti ka darpan hai ye rachana.
बहुत सुंदर..सशक्त ..गागर में सागर ...
जलने न देंगे यश का बाग़ ,वन्देमातरम् ,
अधरों में सबके एक राग , वन्देमातरम् .
खेलेंगे फाग खून से , इतने जुनून से ,
जन क्रान्ति की भड़की है आग .वन्दे मातरम् !मुक्तक मंजरी का हर मुक्तक रतन जटित है ,इस दौर की हुंकार है ,जोश है आवाहन है ,वन्देमातरम ,....वन्देमातरम !
. http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
Saturday, August 27, 2011
अन्ना हजारे ने समय को शीर्षासन करवा दिया है ,समय परास्त हुआ जन मन अन्ना विजयी .
शनिवार, २७ अगस्त २०११
संसद को इस पर भी विचार करना चाहिए .
बहुत ही सटीक और सार्थक रचना ....
beautiful
पहली बार आपके पोस्ट पे आया आपके सभी पोस्ट पढ़े आपकी बेबाक लेखनी का मुरीद हो गया मै किन्तु ऐसे लोगो को हतोत्साहित ही किया जाता है क्यों की सत्य कडवा होता है
मेरे पोस्ट पे आके हौसला आफजाई के लिए धन्यवाद
आप जैसे मित्रों के स्नेह से ही कुछ अच्छा लिखने की प्रेरणा मिलती है !
बहुत सुन्दर ,
खूबसूरत प्रस्तुति ||
यादगार, शानदार और एक बेहतरीन प्रस्तुति
बहुत सुन्दर , सार्थक और बेहतरीन प्रस्तुती!
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 01-09 - 2011 को यहाँ भी है
...नयी पुरानी हलचल में आज ... दो पग तेरे , दो पग मेरे
सशक्त उद्घोष करती हुई रचना ...
बहुत सुंदर ...!!
बहुत ही खुबसूरत....
आज के परिवेश में यह जन जन की अभिव्यक्ति है...
सादर बधाई...
बहुत शानदार मुक्तक्।
दुर्योधनों , दुशासनों की खैर अब कहाँ ?
ध्वज-चक्र ,कृष्ण जैसा उठाने लगे हैं लोग !
गहन भाव युक्त मुक्तक गागर में सागर बरते हुए ..
अति सुन्दर आशावादी चितन युक्त भाव समेटे..
सादर !!!
kya bat hai!!!!!!!ati sundar
शानदार अर्थ लिये बेहतरीन मुक्तक्।
Hi I really liked your blog.
I own a website. Which is a global platform for all the artists, whether they are poets, writers, or painters etc.
We publish the best Content, under the writers name.
I really liked the quality of your content. and we would love to publish your content as well. All of your content would be published under your name, so that you can get all the credit for the content. This is totally free of cost, and all the copy rights will remain with you. For better understanding,
You can Check the Hindi Corner, literature and editorial section of our website and the content shared by different writers and poets. Kindly Reply if you are intersted in it.
http://www.catchmypost.com
and kindly reply on mypost@catchmypost.com
Post a Comment