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Friday, August 26, 2011

मुक्तक मंजरी

                        (१)
वंदन  में ,  देश- दीप  जलाने लगे  हैं लोग ,
नटवर को अँगुलियों में नचाने लगे हैं लोग ,
दुर्योधनों ,  दुशासनों  की  खैर  अब   कहाँ  ?
ध्वज-चक्र ,कृष्ण जैसा उठाने लगे हैं लोग  !

                       (२)
उठ ! जाग , चले  भारतीय  तान मुट्ठियाँ ,
कुछ छोटी, बड़ी और कुछ जवान मुट्ठियाँ ,
जय हिंद के नारों की गूँज धरती, गगन में ,
करती हैं , वन्दे मातरम का गान मुट्ठियाँ !

                      (३)
ज्वालामुखी से फूट के  चिंगारियाँ  उठीं ,
घोटालों के विरोध में किलकारियाँ उठीं ,
सिसकारियाँ उठीं हैं अनाचार द्वार पर ,
बच्चे,  बड़े,  जवान उठे,  नारियाँ  उठीं !

                   (४)
जलने  न  देंगे  यश  का   बाग़ ,वन्देमातरम् ,
अधरों में  सबके  एक   राग ,  वन्देमातरम् .
खेलेंगे   फाग  खून  से ,   इतने   जुनून  से ,
जन क्रान्ति की भड़की है आग .वन्दे मातरम् !

                 (५)
अनशन व्यसन नहीं  स्वयं कृपाण  ऐ वतन !
दशशीश  दहन   हेतु   राम  वाण     ऐ वतन !  
लड़ते हैं  जंग  कैसे  , ये  दुनियाँ को खबर है
व्रत , एक  है  संकल्प  , देंगे  प्राण  ऐ  वतन !

21 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

हर मुक्तक गहन अर्थ लिए हुए ... बहुत सुन्दर शब्दों के साथ अच्छी प्रस्तुति

S.N SHUKLA said...

बहुत सुन्दर , सशक्त सार्थक और खूबसूरत प्रस्तुति .

Roshi said...

bahut hi sunder prastuti...........

Roshi said...

bahut hi sunder.........

Apanatva said...

bahut ojaswee aaj kee manah sthiti ka darpan hai ye rachana.

Dr (Miss) Sharad Singh said...

बहुत सुंदर..सशक्त ..गागर में सागर ...

virendra sharma said...

जलने न देंगे यश का बाग़ ,वन्देमातरम् ,
अधरों में सबके एक राग , वन्देमातरम् .
खेलेंगे फाग खून से , इतने जुनून से ,
जन क्रान्ति की भड़की है आग .वन्दे मातरम् !मुक्तक मंजरी का हर मुक्तक रतन जटित है ,इस दौर की हुंकार है ,जोश है आवाहन है ,वन्देमातरम ,....वन्देमातरम !
. http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
Saturday, August 27, 2011
अन्ना हजारे ने समय को शीर्षासन करवा दिया है ,समय परास्त हुआ जन मन अन्ना विजयी .

शनिवार, २७ अगस्त २०११
संसद को इस पर भी विचार करना चाहिए .

रेखा said...

बहुत ही सटीक और सार्थक रचना ....

डॉ0 अशोक कुमार शुक्ल said...

beautiful

मदन शर्मा said...

पहली बार आपके पोस्ट पे आया आपके सभी पोस्ट पढ़े आपकी बेबाक लेखनी का मुरीद हो गया मै किन्तु ऐसे लोगो को हतोत्साहित ही किया जाता है क्यों की सत्य कडवा होता है
मेरे पोस्ट पे आके हौसला आफजाई के लिए धन्यवाद
आप जैसे मित्रों के स्नेह से ही कुछ अच्छा लिखने की प्रेरणा मिलती है !

रविकर said...

बहुत सुन्दर ,
खूबसूरत प्रस्तुति ||

मदन शर्मा said...

यादगार, शानदार और एक बेहतरीन प्रस्तुति

amrendra "amar" said...

बहुत सुन्दर , सार्थक और बेहतरीन प्रस्तुती!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 01-09 - 2011 को यहाँ भी है

...नयी पुरानी हलचल में आज ... दो पग तेरे , दो पग मेरे

Anupama Tripathi said...

सशक्त उद्घोष करती हुई रचना ...
बहुत सुंदर ...!!

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

बहुत ही खुबसूरत....
आज के परिवेश में यह जन जन की अभिव्यक्ति है...
सादर बधाई...

vandana gupta said...

बहुत शानदार मुक्तक्।

Unknown said...

दुर्योधनों , दुशासनों की खैर अब कहाँ ?
ध्वज-चक्र ,कृष्ण जैसा उठाने लगे हैं लोग !

गहन भाव युक्त मुक्तक गागर में सागर बरते हुए ..
अति सुन्दर आशावादी चितन युक्त भाव समेटे..
सादर !!!

Anamikaghatak said...

kya bat hai!!!!!!!ati sundar

vandana gupta said...

शानदार अर्थ लिये बेहतरीन मुक्तक्।

Ojaswi Kaushal said...

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