वृन्दावन ! आसवन भक्ति का , नवरस नस-नस मनभावन / वर दें आप, ताप मिट जाएँ , रस बरसे पग-पग पावन / व्यंजन-स्वर परसें मनभावन , नव रस का बरसे सावन / वंदन! वचन सुधा रस चाहे , प्रिय आओ इस वृन्दावन /
वाह ……कोमल भावो की सुन्दर अभिव्यक्ति।
राम बन जाऊँगा, तुम हो सीता अगर ||सुन्दर ||
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वाह ……कोमल भावो की सुन्दर अभिव्यक्ति।
राम बन जाऊँगा, तुम हो सीता अगर ||
सुन्दर ||
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