सुयश संस्कृति का रसमय हो, गीत गान के स्वर दे माँ
वर दे , वर दे, वर दे माँ
नरता का नव छंद न रूठे ,
सुमनों से मकरंद न रूठे,
हिन्दी , बिंदी रहे भाल की
कविता का आनन्द न रूठे
वंदन / यह आरती भारती विश्व भुवन में भर दे माँ /
वर दे , वर दे, वर दे माँ /
माँ हम लाख हों भूखे- नंगे ,
हिम्मत हर न सकेंगे दंगे ,
देश दीप की लौ में स्वाहा -
हो जायेंगे , हम हैं पतंगे
देश प्रेम की हद सरहद पर न्यौछावर हों, सर दे माँ /
वर दे , वर दे, वर दे माँ /
कैसी भी विष भरी अगन हो ,
वन्दे मातरम एक लगन हो ,
विजयी विश्व तिरंगा चूमे-
कितना भी विस्तीर्ण गगन हो
जुड़ें सभी से, उड़ें झूमकर, हमको भी वह पर दे माँ /
वर दे , वर दे, वर दे माँ /
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