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Sunday, September 25, 2011

राजनीति के रावण

वेद पुराणों में जननी की, जन्मभूमि की कीर्ति बखानी / 
आजादी की अज़ब कहानी , कहतीं प्यारी दादी-नानी /

वहशी तुर्कों ने लूटा धन- कंचन , धर्म-कर्म चोरों ने ,
व्यापारी बन हिंद देश को , फिर लूटा पापी गोरों ने  /

अलख जगाकर तब स्वराज की , खूब लड़ी झांसी की रानी /
आजादी की अज़ब कहानी , कहतीं प्यारी दादी-नानी /

नेताजी, आज़ाद, भगत, बिस्मिल, सावरकर की गाथाएँ ,
इस धरती पर लाल लुटाती आयीं, हँस -हँस कर मातायें /

मैं तुमको आज़ादी दूँगा , खून मुझे दो हिन्दोस्तानी  ,
आजादी की अज़ब कहानी , कहतीं प्यारी दादी-नानी /

तुर्कों , गोरों ,चोर- लुटेरों से बढ़कर भारत के काले ,
परदेशी भर रहे खजाने, काले मुख करते घोटाले  /

खून पी रहे , अब ये नेता , बलिदानों की आन न जानी /
आजादी की अज़ब कहानी , कहतीं प्यारी दादी-नानी /

चरखा ! चला , बनाकर खादी , बापू जो लाये आज़ादी ,
खादीधारी , टोपी  वालों  ने  भारत में  आग  लगा दी  /

सत्ताधारी  दशाननों  ने , सत्य भुला दी वह कुर्बानी /
आजादी की अज़ब कहानी , कहतीं प्यारी दादी-नानी /

राजनीति के रावण देखो , लगा रहे ज़न्नत में सीढ़ी ,
खूनी क्रान्ति , करेगी आज़ादी की , आने वाली पीढ़ी /

बलिदानी गाथाएँ , आज़ादी की -होंगी मात्र निशानी  /

आजादी की अज़ब कहानी , कहतीं प्यारी दादी-नानी /










4 comments:

S.N SHUKLA said...

बहुत सुन्दर भाव , वास्तविकता को बयान करती रचना, बहुत सुन्दर ,आभार

Dr (Miss) Sharad Singh said...

सत्ताधारी दशाननों ने , सत्य भुला दी वह कुर्बानी
आजादी की अज़ब कहानी , कहतीं प्यारी दादी-नानी
राजनीति के रावण देखो , लगा रहे ज़न्नत में सीढ़ी
खूनी क्रान्ति , करेगी आज़ादी की , आने वाली पीढ़ी


रचना के माध्यम से यथार्थ का सुन्दर वैचारिक प्रस्तुतिकरण...

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत अच्छी रचना ..


तुर्कों , गोरों ,चोर- लुटेरों से बढ़कर भारत के काले ,
परदेशी भर रहे खजाने, काले मुख करते घोटाले /

खून पी रहे , अब ये नेता , बलिदानों की आन न जानी /
आजादी की अज़ब कहानी , कहतीं प्यारी दादी-नानी /

सटीक लिखा है ..

रविकर said...

पंजाब एवं बंग आगे, कट चुके हैं अंग आगे|
लड़े बहुतै जंग आगे, और होंगे तंग आगे|
हर गली तो बंद आगे, बोलिए, है क्या उपाय ??
व्यर्थ हमने सिर कटाए, बहुत ही अफ़सोस, हाय !

bahut sundar prastuti ||