वह कहते कविताई मैंने भोगा हुवा अतीत लिखा १
मन से हो न सके जो मेरे , उनको ही मनमीत लिखा
जीवन की पीड़ा ने पहने जब स्वर व्यंजन के गहने ,
कहने लगी झूम कर दुनियाँ , दीवाने ने गीत लिखा ११
फिर भी ================
दिल की दीवारों पर, मैंने, प्यार का, जब, पैगाम लिखा ,
प्यास समन्दर जैसी पागल, सच बादल को जाम लिखा
दिल की दिल में रही , कि तुझको लैला शीरीं हीर लिखूं -
जब कुछ भी लिखना चाहा , हर गीत ,तुम्हारे नाम लिखा 11''
2 comments:
बहुत सुन्दर भाव
बहुत सुन्दर ,
सार्थक प्रस्तुति , बधाई
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