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Tuesday, October 11, 2011

श्रद्धा सुमन

वेदना के स्वर सरोवर को नमन = = = = = =
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वो दर्द के हमदर्द थे  , मालिक थे उस आवाज़ के  !

क्या गायकी नायाब वह भी साज़ या बिन साज़ के ?

यादों में ,दुनिया में रहेंगे,  वह ग़ज़ल या गीत की   !

मरकर भी फ़न से हो गए सदियों अमर जगजीत जी !

श्रद्धा   सुमन  

2 comments:

पूनम श्रीवास्तव said...

aadarniy sir
bahut hi behatreen tareeke se aapnebharat ke in nayaab aadarniy jagjit singh ji ko shraddhanjali arpit ki hai.
unko main bhi shraddha ke suman arpit karti hun
aapki in chand panktiyon ne bahut kuchh kah diya hai.
shubh din----
poonam

Amrita Tanmay said...

विनम्र श्रद्धांजलि