\वृन्दावन में रस आँगन में , रस रास विलास, करें , भी कभी !
!मधुवन जीवन ,इस जीवन में ,पल भर वनवासकरें भी कभी !
कण कण क्षण क्षण नव रस बरसे
यदि प्यासे और नयन तरसे
सचमुक्तिकहाँ जग बन्धनमें पर मुक्ति प्रयास करें भी कभी !
सुख तो सुख है बस नाम का है
सम्बल श्री राधे श्याम का है
उद्गारों में , व्यवहारों में , प्रिय! में विश्वास करें भी कभी !
दो पग कब साथ चले अपने
वो नयन लूटे जिनसे सपने
उन अधरों और स्वरों में भी स्नेहिल आभास, भरें भी कभी !
पल -पल बीता जलते -जलते
मन को छलते ,पथ पर चलते
जलना जीवन दीपक से जलें ,हर ओर, प्रकाश भरें भी कभी !
वृन्दावन में मनमीत मिलें
रस में डूबे नव गीत मिलें
मुरलीधर के गिरिवर धर के हित में उपवास करें भी कभी !
वृन्दावन में रस आँगन में रस रास बिलास करें भी कभी !1
3 comments:
बहुत सुंदर भक्तिभाव से सजी रचना अच्छी लगी , बधाई
बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति, बधाई
बहुत सुन्दर भक्तिपूर्ण अभिव्यक्ति..
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