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Thursday, October 20, 2011

जैसी करनी वैसी भरनी

वहशी हो कोई ,करनी जैसी वैसी ही भरनी भरता है !

वह क़त्ल करे छाए जितना ,कुत्ते की मौत ही मरता है !

हर सख्स खुदा का बन्दा है हर एक अगर यह याद रखे ,

इंसान वही जो मालिक को और मौत को याद भी करता है !


जैसी  करनी  वैसी  भरनी 

3 comments:

रविकर said...

खूबसूरत प्रस्तुति |

त्योहारों की नई श्रृंखला |
मस्ती हो खुब दीप जलें |
धनतेरस-आरोग्य- द्वितीया
दीप जलाने चले चलें ||

बहुत बहुत बधाई ||

अनुपमा पाठक said...

मौत का अगर सदा स्मरण रहे तो जीने की कला आ जाये!

Satish Saxena said...

बहुत सुंदर !
दीपावली पर आपको और परिवार को हार्दिक मंगल कामनाएं !
सादर !