वंशी धुन में धड़कन धड़कन लोरी गाये मेरी माँ
सपनों में आ यादों में अब भी दुलराये मेरी माँ ।
माँ- मेरी माँ माँ मेरी माँ वो मेरी माँ हाँ मेरी माँ ।
ढली उमर में सपने टूटें
जब रूठें प्यारे अपने
धड़कन की लय पर साँसें भी
माँ का नाम लगीं जपने
दर्द बढ़े जब दिल तड़पाये मन सहलाये मेरी माँ ।
गले लगा ले आँसू पी ले
भर भर लेती बाहों में ।
ममता माँ की गीत ग़ज़ल में
रस भर जाती आहों में ।
नींद न आये आये आकर मुझे सुलाए मेरी माँ ।
धरती पर भगवान सभी के
हों ध्रुव सत्य पिता माता
पले कोख में माँ की प्रभु भी
जब भी दुनियाँ में आता
मन मंदिर में छवि माँ की कवि दीप जलाए मेरी माँ ।
रोम रोम माँ की ममता के गीत सुनाये मेरी माँ ।
पास अगर माँ कभी न माँ की
सेवा का मौक़ा खोना
सच कहता वीरेन्द्र हमारे
जैसा छुप छुप मत रोना ।
फिर मत कहना टेर रहे हम हाय न आये मेरी माँ ।
वृन्दावन ! आसवन भक्ति का , नवरस नस-नस मनभावन / वर दें आप, ताप मिट जाएँ , रस बरसे पग-पग पावन / व्यंजन-स्वर परसें मनभावन , नव रस का बरसे सावन / वंदन! वचन सुधा रस चाहे , प्रिय आओ इस वृन्दावन /
Tuesday, March 31, 2015
माँ मेरी माँ
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