वैभव धरती प्यारी न्यारी कण कण में भगवान ।
कहीं आरती तेरे सदके गूँजे कहीं अजान ।
एक तमन्ना गीतों में हो तेरे यश का गान ।
तुझ पर हो कुर्बान जिस्म से जाए जब भी जान ।
वरदान दिव्य ऐसा रम्य रूप सलोना ।
छवि कवि के ह्रदय कर गयी जादू कोई टोना ।
मर जाएँ तेरे प्यार में जब जब मिले जनम ।
वैभव रहे जय हिन्द मन्त्र वन्दे मातरम् ।।।
सागर हसीन पाँव तेरे चूमता रहे
रखवाला हिमालय भी देख झूमता रहे
ऐसा है हुस्न चूमें फरिश्ते तेरे कदम ।। वैभव+
लहराए अंग अंग में यमुना तेरे गंगा
परियों सा रंग रूप ये परिधान तिरंगा
चाहेंगेतुझेजान से जबतक है दममेंदम।वैभव+
पी लेंगे हँस के तेरे लिए विष के भी प्याले
ले लेंगे जान जो बुरी नज़र कोई डाले
हमको कसम कलम की करें उसके सर कलम ।
सोने सा जिस्म नूर में तिलस्म है चाँदी
देखे जो नजर भर के नजर हो तेरी बाँदी
रग रग में मेरी धड़कनों में तू है माँ कसम ।
देखे बुरी नज़र से अगर कोई कमीना
आँखें निकाल छलनी करें शत्रु का सीना
कब खौफ लाख गोलियाँ चलें कि फटें बम।
कश्मीर जैसी चोली चुनर कन्याकुमारी
क्यों हुस्न पर फ़िदा न हो वीरेन्द्र तिवारी
जब जान जाए गाए सांस वन्दे मातरम् ।।।
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