वृन्दावन ! आसवन भक्ति का , नवरस नस-नस मनभावन / वर दें आप, ताप मिट जाएँ , रस बरसे पग-पग पावन / व्यंजन-स्वर परसें मनभावन , नव रस का बरसे सावन / वंदन! वचन सुधा रस चाहे , प्रिय आओ इस वृन्दावन /
सरल बहुत है बच्चों का मन बहलाना भी मेले में बहुत भीड़ है घड़ी दिला दूंगा चल लाल अकेले मे बचपन रहा भटकता ऐसे देख खिलौने सजे हुए मुड़कर देखा उलझ गया बच्चा संसार झमेले में
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