जान जब जाये कभी पास मेरी जान न हो ।
मौत आने का जिन्दगी कहीं गुमान न हो ।।
कोई नफ़रत न मुहब्बत रहे खयालों में---
साँस में आरती लब पर कोई अजान न हो ।
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दर्द का गीत आओ ऐसा भी गाया जाए ।
दर्द सहकर भी ज़माने को हँसाया जाए ।
गीत वरदान ये वैभव है गुनगुनाना भी
जख्म ताज़ा हो या सालों का हो पुराना भी
घाव पर प्यार का मरहम ये लगाया जाए ।
दर्द सहकर भी +++++++++
आख़िरी सांस तलक प्यार की ये पीर चले
आँसू की शक्ल में ग़र पीर भरा तीर चले
अश्क़ नायाब खजाना न लुटाया जाए ।
दर्द सहकर भी **********
दो नयन जिनमें पले ख्वाब की रानी हूँ मैं
ऐसा लगता है कि मीरा सी दीवानी हूँ मैं
आह इकतारा भी दिल का ये बजाया जाए ।
दर्द सहकर भी -----------
नींद आये न कभी हाय जो रजनी आये
आह हो कैसा जतन पहलू में सजनी आये
आये दम भर कभी वो रास रचाया जाये ।।
दर्द सहकर भी ज़माने को हँसाया जाए ।।।
वृन्दावन ! आसवन भक्ति का , नवरस नस-नस मनभावन / वर दें आप, ताप मिट जाएँ , रस बरसे पग-पग पावन / व्यंजन-स्वर परसें मनभावन , नव रस का बरसे सावन / वंदन! वचन सुधा रस चाहे , प्रिय आओ इस वृन्दावन /
Sunday, April 5, 2015
जान जब जाये*********
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