व्यापारी भारत के लीडर
कपटी केवल कंट्री फीडर
सूरत पर दे नए मुखौटे
पांच वर्ष में घर को लौटे
चरण चूमते कहें निभायेंगे वे दिए वचन ।
जन जन दे मत जीते हम साँसद का निर्वाचन ।
चुनें किसे सौ प्रतिशत नेता कोई भी है कलंकी है
नेता की नजरों में जनता डंकी नेता मंकी है
नटवर नेता रास रचाएं संसद है निधि वन ।
राष्ट्र पिता के नाम रहे हैं बापू लूट लँगोटी भी
कँगले छीन रहे भूँखी जनता के मुख से रोटी भी। बेदर्दी जिन्दा लाशों के लुटे नित्य कफ़न ।।
बगुलों की बेइज्जती इन्हें बगुला मत कहना बाज़ हैं ये
भोग रहे जन्नत के सुख बस वोटों के मोहताज हैं ये
वर्षों से लूटते देश सब सत्ता से बन्धन ।।
वृन्दावन ! आसवन भक्ति का , नवरस नस-नस मनभावन / वर दें आप, ताप मिट जाएँ , रस बरसे पग-पग पावन / व्यंजन-स्वर परसें मनभावन , नव रस का बरसे सावन / वंदन! वचन सुधा रस चाहे , प्रिय आओ इस वृन्दावन /
Sunday, April 5, 2015
निर्वाचन
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment