विजेट आपके ब्लॉग पर

Sunday, April 5, 2015

निर्वाचन

व्यापारी भारत के लीडर
कपटी केवल कंट्री फीडर
सूरत पर दे नए मुखौटे
पांच वर्ष में घर को लौटे
चरण चूमते कहें निभायेंगे वे दिए वचन ।
जन जन दे मत जीते हम साँसद का निर्वाचन ।
चुनें किसे सौ प्रतिशत नेता कोई भी है कलंकी है
नेता की नजरों में जनता डंकी नेता मंकी है
नटवर नेता रास रचाएं संसद है निधि वन ।
राष्ट्र पिता के नाम रहे हैं बापू लूट लँगोटी भी
कँगले छीन रहे भूँखी जनता के मुख से रोटी भी। बेदर्दी जिन्दा लाशों के लुटे नित्य कफ़न  ।।
बगुलों की बेइज्जती इन्हें बगुला मत कहना बाज़ हैं ये
भोग रहे जन्नत के सुख बस वोटों के मोहताज हैं ये
वर्षों से लूटते देश सब सत्ता से बन्धन  ।।

No comments: