वादे नहीं राजा आजा कर कोशिशें
आज पूरी कर ले ज़रा तो ख्वाहिशें
ज़िन्दगी है खेल !खेल खेल खेल में
खेल ये अनोखा चोखा ई लू ई लू ।
शोला जैसी सोलह की ये गड्डी मेरी जान
जाना नहीं रह भी फिसड्डी मेरी जान
जान मेरी रहती जवानी चार दिन
थोड़ी देर खेल ले कबड्डी मेरी जान
खेल का मैदान ये बदन हू ब हू ।आईला छू ।
रेल चले टेसन से जैसे रुक रुक
जिस्म ये जवान देख ब्यूटीफुल लुक
गेम बड़ा लवली न कर शेम शेम
मार ले मैदान जीते बिन नहीं रुक
हाथ पाँव मार करना है तू तू तू ।।।आईला छू ।
खेल ये अगाड़ी से पिछाड़ी से भी खेल
पढ़ा लिखा खेले औ अनाड़ी सके खेल
देखते ही देखते हो जाए चैंपियन
राजा आ जा कोई भी खिलाड़ी सके खेल
सर चढ़ने दे आईला छू का जादू ।आईला छू
वृन्दावन ! आसवन भक्ति का , नवरस नस-नस मनभावन / वर दें आप, ताप मिट जाएँ , रस बरसे पग-पग पावन / व्यंजन-स्वर परसें मनभावन , नव रस का बरसे सावन / वंदन! वचन सुधा रस चाहे , प्रिय आओ इस वृन्दावन /
Sunday, April 5, 2015
आईला छू आ---
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